Dec 9, 2011

धर्मं

  • धर्मं किसी व्यक्ति के  सद्जीवन और सदाचरण का मार्ग  बताता  है
  • भारतीय संस्कृति में वसुधेवकुतुम्बकम की भावना तो सर्वोपरि है.
  • सर्वे  भवन्तु सुखिन: सर्वे निरामया:  का सिद्धांत तो अनूठा ही है. 
  • नरसी मेहता की भावना " वैष्णव जन तो तेने कहिये , पीड़  पराई जाने रे " समानता एवं  आध्यात्मिकता  का अनूठा मिश्रण है. 
  • सूफी मत " प्रेम " से ओतप्रोत रहा है.
  • सभी धर्मो का शाश्वत मूल्य है - प्रेम और अहिंसा 
  • कबीर तो तत्त्व ज्ञानी थे जिन्हें इहलोक और परलोक का ज्ञान था. 
  • बाबा रामदेव गरीब और निम्न वर्ग के लोगो का साथ देकर धर्मं की गहराई  समझाई. 
  • गुरु ग्रन्थ शाहीब में विभिन्न मतों एवं संतो की वाणी को उचित स्थान देकर सम्मान दिया. 
  • असली धर्म  वाही जो दीप के समान बिना भेदभाव अपना प्रकाश चारों और फैलाए.
  • सनातन धर्मं सभी मतों को आत्मसात करते हुए विकसित हुआ. 
  • सार्वभौमिक धर्मं तो महासागर की भाँती है.
  • धर्म  से निरपेक्ष नहीं बल्कि सर्व धर्म सद्भाव बनाने और रखने की आवस्यकता है.
  • आज धर्म के नाम पर लडाईया और मौतें होना धर्म के मूल तत्व को न समझ पाना है.
  • धर्म में प्रेम और अहिंसा का बोध होता है
  • सत्य और असत्य का मर्म धर्म  बताता है.
  • पाप और पुर्न्य का बोध कराने वाला भी धर्म  है.
  • इहलोक और परलोक का बोध भी धर्म कराता है.
  • सत्य कर्म का बोध और दायित्व बोध भी कराने वाला भी धर्म है.
  • शुद्ध चिंतन, शुद्ध आचरण, शुद्ध कर्म ही धर्म का आधार है.
  • कथनी करनी में अंतर है तो इंसान लाचार है.
  • धर्म एवं धर्म के मूल्य वही जो धारण एवं आचरण योग्य हों. 
  • इस्लाम का अर्थ " शांति में प्रवेश करना ". 
  • इस्लाम धर्म में कलमा, नम्माज, रोजा, जकात और हज को  महत्त्व दिया गया है. 
  • महावीर एवं बुध्द ने अंहिंसा , प्रेम और सम्मानता का पाठ पढ़ाया. 
  • ईसा  मसीह ने प्रेम को सर्वोपरि बताया.
  • पान्तंजलि ने योग दर्शन का मंत्र दिया जो सभी के स्वथ्य जीवन का आधार बनाता है.
  • विज्ञानं और धर्म  कोई विवाद नहीं .सत्य को जानने के ये ही मार्ग है.
  • विभिन्न मत्त और आस्थाएं सार्वभौमिक / विश्व / मानव धर्म के अल्प आधार है.
  • धर्म तो वही जो प्रेम, अहिंसा ,शांति, भाईचारा, समानता , सहयोग, सम्मान आदि का मार्ग बताये और अनुशरण के लिए प्रेरित करे.  .
                                                 ( सर्व धर्म सम्मलेन , बीकानेर,अगस्त , 2011 में दिए गए भाषण  के अंश  )





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