- धर्मं किसी व्यक्ति के सद्जीवन और सदाचरण का मार्ग बताता है
- भारतीय संस्कृति में वसुधेवकुतुम्बकम की भावना तो सर्वोपरि है.
- सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे निरामया: का सिद्धांत तो अनूठा ही है.
- नरसी मेहता की भावना " वैष्णव जन तो तेने कहिये , पीड़ पराई जाने रे " समानता एवं आध्यात्मिकता का अनूठा मिश्रण है.
- सूफी मत " प्रेम " से ओतप्रोत रहा है.
- सभी धर्मो का शाश्वत मूल्य है - प्रेम और अहिंसा
- कबीर तो तत्त्व ज्ञानी थे जिन्हें इहलोक और परलोक का ज्ञान था.
- बाबा रामदेव गरीब और निम्न वर्ग के लोगो का साथ देकर धर्मं की गहराई समझाई.
- गुरु ग्रन्थ शाहीब में विभिन्न मतों एवं संतो की वाणी को उचित स्थान देकर सम्मान दिया.
- असली धर्म वाही जो दीप के समान बिना भेदभाव अपना प्रकाश चारों और फैलाए.
- सनातन धर्मं सभी मतों को आत्मसात करते हुए विकसित हुआ.
- सार्वभौमिक धर्मं तो महासागर की भाँती है.
- धर्म से निरपेक्ष नहीं बल्कि सर्व धर्म सद्भाव बनाने और रखने की आवस्यकता है.
- आज धर्म के नाम पर लडाईया और मौतें होना धर्म के मूल तत्व को न समझ पाना है.
- धर्म में प्रेम और अहिंसा का बोध होता है
- सत्य और असत्य का मर्म धर्म बताता है.
- पाप और पुर्न्य का बोध कराने वाला भी धर्म है.
- इहलोक और परलोक का बोध भी धर्म कराता है.
- सत्य कर्म का बोध और दायित्व बोध भी कराने वाला भी धर्म है.
- शुद्ध चिंतन, शुद्ध आचरण, शुद्ध कर्म ही धर्म का आधार है.
- कथनी करनी में अंतर है तो इंसान लाचार है.
- धर्म एवं धर्म के मूल्य वही जो धारण एवं आचरण योग्य हों.
- इस्लाम का अर्थ " शांति में प्रवेश करना ".
- इस्लाम धर्म में कलमा, नम्माज, रोजा, जकात और हज को महत्त्व दिया गया है.
- महावीर एवं बुध्द ने अंहिंसा , प्रेम और सम्मानता का पाठ पढ़ाया.
- ईसा मसीह ने प्रेम को सर्वोपरि बताया.
- पान्तंजलि ने योग दर्शन का मंत्र दिया जो सभी के स्वथ्य जीवन का आधार बनाता है.
- विज्ञानं और धर्म कोई विवाद नहीं .सत्य को जानने के ये ही मार्ग है.
- विभिन्न मत्त और आस्थाएं सार्वभौमिक / विश्व / मानव धर्म के अल्प आधार है.
- धर्म तो वही जो प्रेम, अहिंसा ,शांति, भाईचारा, समानता , सहयोग, सम्मान आदि का मार्ग बताये और अनुशरण के लिए प्रेरित करे. .
( सर्व धर्म सम्मलेन , बीकानेर,अगस्त , 2011 में दिए गए भाषण के अंश )
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