Dec 23, 2012

चिंगारी

एक चिंगारी ने किया , रोशन सहस्त्र मशाल 
रुकते नहीं वे बढ़ चले , चढ़ते काल के  भाल 

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कुदरत   ने   बनाया ,  नर - नारी   एक   समान 
नारी पर अत्याचार क्यों, क्यों करते है अपमान 

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नूतन   वर्ष   शुभ   बने ,  सपने  हों  साकार 
स्वस्थ सुखद हो जिंदगी , अकूत रहे भण्डार 

                         * JANGID/20121224

Oct 24, 2012

VIJAYDASHMI - विजयदशमी


मन  का  रावण  मरे  नहीं ,  पुतले   मारे  जाय 
काम क्रोध मद लोभ में डूबा, इन्सां कितने हाय 

राम नाम है सत से ऊपर, रावण बस अभिमान 
जीत सदा है नेक कर्म की,  बाकी  सब अपमान 

आज्ञाकारी निर्लिप्त रामजी,लक्ष्मण सरीखा भाई 
सीता सत  की  नारी स्वरूपा, देव   भी करे बड़ाई 

दस  अवगुण  भरे  दशानन,  राम गुणों की खान 
अहम  दशानन  ले  डूबा,  सच  का  सदा ही मान 

ज्ञानी  और  शूर  दशानन , खुद  पर  बड़ा घमण्ड 
पाप कर्म से भरता घट जो,  हुआ  खण्ड -विखण्ड 







राम कृपा  थी पवनपुत्र पर, सेवक  सहज  सुजान 
राम-जानकी नाम से पहले, इनको मिलता मान 

जीव-जंतु  स्नेह के बंधक, मिल-जुल  सेना बनाई 
तत्पर  सब  थे राम  काज को, जीत  लंक से  पाई 

राम चरित  है पावन अनूठा, आदर्श ढला है जीवन 
जंगल महल एक से लगते,सुख दुःख में ना विचलन 
                                         
                                                             * JANGIDML / 20121024



Oct 6, 2012

अजीब सा है संजोग

हम सुधरेंगे , घर सुधरेगा, मौहल्ला फिर सुधरेगा 
गाँव गाँव , शहर शहर, फिर देश समस्त सुधरेगा 
                                                   MLJ / 16.9.2011


न  रूप, न  रंग , न है  आदि और  न  ही  अंत
निशाँ वो पक्का छोड़ता , कहते है उसको वक्त  
                                             MLJ / 17.9.2011


वक्त  करता  घायल  कभी, वक्त  ही  सिलता  घाव     को
मंझधार से किनारा लाता कभी, डुबाता कभी ये नाव को
                                                             MLJ / 17.9.2011


आकाश से परे आकाश और,ब्रह्माण्ड  के आगे ब्रह्माण्ड  कई
मानव जीवन न आता दोबारा, चाहे असंख्य  हो संसार कई
                                                                    MLJ / 17.9.2011


बेटी   पहले  देना  दाता  , बेटा   अगली   बार
धन दौलत न मांगू  तुमसे, देना सुखी परिवार
                                                 MLJ / 3.9.2011


घर घर घी के दीपक रोशन, खुश हो हर दिल  का कोना 
शुभ  दीपावली  मंगलमय  हो,  बरसे   घर   घर   सोना
                                                             MLJ /26 .10.2011



कुए  कुए  भांग  पड़ी है, घर  घर स्याह  अन्धेरा
सूरज कोई नया उगेगा , प्रफुल्लित होगा  सवेरा 
                                                   MLJ / 11.9.2011


अकर्मण्य , सवेंदनहीन, दायित्वों  से  भाग  रहे  है  लोग
फिर भी चल  रहे देश और दुनिया , अजीब सा है  संजोग
                                                                 MLJ / 9.12.2011
   

Apr 14, 2012

दोहा राजस्थानी

चीन्चड़, जूं  अर चापलूस, तिन्यों रा एक सा काम
पी - पी  खून , मोटा  बणे , मारयां  ही  छूटे   साथ  
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काग  डोड  राजा  भये ,  बगुला  नज़र  झुकाय
अवनति दिन रात अब, काबिल न कोई उपाय 
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Mar 12, 2012

स्पंदन ( काव्य )

शिक्षा,  संस्कार,  सेवा  और  जागृत  समर्पण भाव
संपर्क, सहयोग हो  सदा, सुख  दुःख में  सम - भाव
संगठित,स्वाभिमानी समाज, सुसभ्य करे विकास
समस्त  मिल-जुल  कर रहे, " मोहन " करे  प्रयास

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कर्म ही पूजा , कर्म ही ईश्वर, कर्म ही जगत आधार
कर्म बिना तो  मानव  जीवन, इस  भू  पर  है  भार
कर्म   गति  पर   होता  निर्भर ,  फलदायी  व्यापार
कर्म  बिना  तो  " मोहन " होता,  विषदायी   आहार

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भाग्य - भरोसे   हीन -  जन ,   पाते   दुःख   अपार
ज्यों तूफ़ान में घिरा हुआ, बिन प्रक्रम डूबे मंझधार
खुद  ही  भाग्य  विधाता ,   लेकिन  ढूढें   यहाँ  वहां
" मोहन "  ऐसे   लोगों  से ,  भरा  हुआ  है  ये संसार
  
    
 

Jan 30, 2012

महात्मा गाँधी

काली  थी   तीस जनवरी , गोली  ले गई जान हत्यारी
ये खून गाँधी का ही नहीं था, खून से सनी जनता सारी
*    *     *
सत्य अहिंसा की ढाल से , भारत ये आजाद हुआ
हे  राम !  तेरे  ही देश में , अपनों  से  बर्बाद  हुआ
*   *   *
इतने  निष्ठुर  अंग्रेज  भी  न  थे, संघर्ष किया था वर्षों  तक
आजाद भारत ने दी मौत , दिया नहीं जीवन जीने का  हक़ 
                          *    *   *                          
लाठी धोती खादी चरखा , सत्य  अहिंसा से  तीखे वार
शासन विदेशी हिल गया, छोड़ भागे देश और व्यापार
*     *    *
जैसा सोच, वैसा ही व्यवहार, सरल सादगी ,शुद्ध आहार
सत्याग्रह के नए हथियार से लड़े , कभी नहीं मानी हार
*    *    *
जीवन भर अहिंसा से  लड़ने वाले , तोप बन्दूक के आगे न छुकने  वाले
आज ये क्या हो गया गाँधी तेरे ही आँगन , कांपें क्यों न हाथ गोली वाले
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@ JANGIDML /20120130

Jan 26, 2012

गणतंत्र दिवस

गणतंत्र   दिवस  है, जश्न  मनाओ
घर  घर  ख़ुशी  के  दीप   जलाओ

राष्ट्र     पर्व    ये     गौरव    सबका 
राष्ट्रधर्म   है  , ना    समझो  हलका
मिलकर  गौरव    गीत सुनाओ ..१

शुभ     दिन ,  सबको    दें   बधाई 
मिलजुल   खाओ ,  बाँटो   मिठाई
सबको सहज ,तुम गले लगाओ ..२

अपनी   हवा   ये,  अपनी   जमीं है
अपना   गगन, अब  क्या कमी  है
सपनों का मिल ,महल बनाओ ..३

अब   ना   जात   पांत  का   रगड़ा
भाषा ,  क्षेत्र  ना  धरम का  झगड़ा
क्रोध द्वैष सब दिल से भगाओ ..४

छोटे   बड़े ना , नर-नारी  में अंतर
लोकतंत्र  अब, ना  किसी में अंतर
मिल कर, देश उन्नत  बनाओ ..५

ऊँचा   फहरे    ये  सदा      तिरंगा
अब   ना   रहे   कोई  भूखा   नंगा
देश की  नव  पहचान बनाओ ..६

भूलो   ना  ,  जो   मिटे   देश   पर
नामी- अनामी ,  सदा  नमन  कर
गाथा   उनकी ,  खूब   सुनाओ..७

  • Jangidml /20040815
    
 
  
  
 

Jan 14, 2012

काम करने का तरीका

" अरे शर्मा जी, ये क्या लिख दिया ....परीक्षा की ड्यूटी लिस्ट में आपने नाम लिखा है.... कुलोचना . कौन है यहाँ लेक्चरर  ?"
"देखता हूँ सर ....पर अपने यहाँ तो कोई इस नाम का स्टाफ नहीं है  " परीक्षा प्रभारी शर्मा जी ने देखा कि सही में कुलोचना ही लिखा हुआ है, " अपने यहाँ मेडम सुलोचना तो है उनके नाम में थोड़ी  गलती हो गई है ... इसे ठीक कर देता हूँ. "
" पर शर्मा जी ... सुलोचना से कुलोचना कैसे बन गया ..आप जानते हो इस शब्द से कितना अनर्थ हो जाता यदि स्टाफ तक ये रजिस्टर  पहुँच जाता... पर ये राइटिंग आप की तो नहीं है ?... फिर किसने लिखा ये ? " 
" सर ! ..लिखने के लिए तो डॉ. हरीश जी को कहा था."
डॉ हरीश जी को प्राचार्य ने बुलाया और पूछा -" डॉ साहब   इस रजिस्टर  में स्टाफ के नाम  आपने लिखे थे ?"
" हाँ ,हाँ ...पर क्या हुआ सर ?"
" आपने मेडम सुलोचना की जगह कुलोचना लिख दिया ..आपने ये कैसे लिख दिया जबकि आपको मालूम है ?"
" सर ! मैं क्या करता ..मैंने वो नाम ही लिखे जैसे शर्मा जी ने बोले थे. "
प्राचार्य समझ  गए .बिना विवाद किये उन्हें विदा किया. 
" शर्मा जी आइन्दा से इनसे नाम मत लिखवाना,  न ही काम कराना  ..ये तो हर काम में ऐसे ही करते है ताकि  फिर कोई इन्हें काम न सौंपा जाए ... ये ही तो इनके काम करने का तरीका है, पिछले बीस साल से यूँ ही काम करते आये है ये जनाब !" 


Jan 10, 2012

अनुभव

एक व्यक्ति तूफानी बारिश में भीगता हुआ परचून की दूकान पर पहुँच कर कहता है- अरे ! भाई साहब , एक किलो चीनी....एक किलो मूंग दाल.....एक किलो देशी घी और..... आधा किलो पीसी मिर्च और धनिया ...अच्छा एक ब्रेड का पैकेट भी दे देना ......"
"साहब, जरा धीरे तो बोलो ...एक ही सांस में सारी लिस्ट बता दी ", दुकानदार बोला-" ज़रा एक बार रिपीट तो कर दो ताकि सारा सामान पैक करा दूँ  ."
उस व्यक्ति ने लिस्ट दुबारा रिपीट करते हुए कहा - " जल्दी से दे दो सामान .... मैं जल्दी में हूँ  ...देखते  नहीं कि कितनी  तेज बारिश आ रही है ?"
" हाँ , यह मैं  जानता हूँ.... यह  भी जान गया कि ये सामान आपकी बीबी ने मंगाया होगा. "
" अरे ! आप तो मुझे जानते ही नहीं परन्तु ये कैसे पता लगा  कि ये सामान बीबी ने ही मंगाया है या माँ ने ?"
" साहब ! इतना तो मैं भी जानता हूँ  ...इतनी तेज बारिश में माँ इस  सामान के लिए नहीं भेज सकती. बीबी ही बारिश तूफान में पति को सामान के लिए लिस्ट थमा सकती है."
बेचारा ग्राहक शर्मिंदा भी हुआ और मन ही मन दुकानदार के अनुभव से चकित भी हुआ.घर लौटते वक्त बरसात की बूंदे एक नया ही अनुभव करा रही थी.






Jan 9, 2012

माँ

  • सूना है इसके  बिना परिवार  , माँ बिना नहीं है संसार
  • माँ की ममता का नहीं है मोल , पैसे से न इसको  तौल
  • निश्वार्थ है  माँ का प्यार, वो ही कराती भव सागर पार
  • माँ दे सकती अपनी  जान, अरे नादाँ तू मत कर अपमान
  • भूखी प्यासी दुर्बल माता ,  होकर बड़ा तू भूल क्यों जाता
  • मान-सेवा ना कोई चाहत , रूखे बोल से होती वो आहत
  • इससे बड़ा न कोई दाधीच , रिणी  बहुत तू  ना आँखे  मींच  
  • स्वर्ग न मिलेगा माँ बिना , आशीर्वाद जब तक ना इसका मिला 
  • ईश भी झुकता माँ के आगे,  मांग ले तू जो कुछ भी मांगे 
  • संस्कार शिक्षा है इसकी देन, समझ ले इसके बिन बोले नैन 
  • धरती छोटी आकाश भी छोटा, माँ का दिल कभी ना खोटा 
  • jangid ml /20120109



Jan 7, 2012

ख़ुशी

सुबह सुबह पार्क में घुमते  हुए मेडम अन्नू बोली - " शर्मा साहब आज तो बड़े खुश नज़र आ रहे  हो ? क्या कोई खाश बात है ?"
" नहीं, नहीं ......", शर्मा जी ने सकुचाते हुए कहा.
" कुछ तो बात है !", अन्नू मेडम बोली - " आपकी मेडम पीहर गई हुई है ?"
" जी ,  पर आपको कैसे पता चला ?"
" शर्मा साहब ......... ये तो आपके चहरे की ख़ुशी बता रही है ."
शर्मा साहब बिना कुछ कहे आगे बढ़ गए .