" अरे शर्मा जी, ये क्या लिख दिया ....परीक्षा की ड्यूटी लिस्ट में आपने नाम लिखा है.... कुलोचना . कौन है यहाँ लेक्चरर ?"
"देखता हूँ सर ....पर अपने यहाँ तो कोई इस नाम का स्टाफ नहीं है " परीक्षा प्रभारी शर्मा जी ने देखा कि सही में कुलोचना ही लिखा हुआ है, " अपने यहाँ मेडम सुलोचना तो है उनके नाम में थोड़ी गलती हो गई है ... इसे ठीक कर देता हूँ. "
" पर शर्मा जी ... सुलोचना से कुलोचना कैसे बन गया ..आप जानते हो इस शब्द से कितना अनर्थ हो जाता यदि स्टाफ तक ये रजिस्टर पहुँच जाता... पर ये राइटिंग आप की तो नहीं है ?... फिर किसने लिखा ये ? "
" सर ! ..लिखने के लिए तो डॉ. हरीश जी को कहा था."
डॉ हरीश जी को प्राचार्य ने बुलाया और पूछा -" डॉ साहब इस रजिस्टर में स्टाफ के नाम आपने लिखे थे ?"
" हाँ ,हाँ ...पर क्या हुआ सर ?"
" आपने मेडम सुलोचना की जगह कुलोचना लिख दिया ..आपने ये कैसे लिख दिया जबकि आपको मालूम है ?"
" सर ! मैं क्या करता ..मैंने वो नाम ही लिखे जैसे शर्मा जी ने बोले थे. "
प्राचार्य समझ गए .बिना विवाद किये उन्हें विदा किया.
" शर्मा जी आइन्दा से इनसे नाम मत लिखवाना, न ही काम कराना ..ये तो हर काम में ऐसे ही करते है ताकि फिर कोई इन्हें काम न सौंपा जाए ... ये ही तो इनके काम करने का तरीका है, पिछले बीस साल से यूँ ही काम करते आये है ये जनाब !"
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