हम सुधरेंगे , घर सुधरेगा, मौहल्ला फिर सुधरेगा
गाँव गाँव , शहर शहर, फिर देश समस्त सुधरेगा
MLJ / 16.9.2011
न रूप, न रंग , न है आदि और न ही अंत
निशाँ वो पक्का छोड़ता , कहते है उसको वक्त
MLJ / 17.9.2011
वक्त करता घायल कभी, वक्त ही सिलता घाव को
मंझधार से किनारा लाता कभी, डुबाता कभी ये नाव को
MLJ / 17.9.2011
आकाश से परे आकाश और,ब्रह्माण्ड के आगे ब्रह्माण्ड कई
मानव जीवन न आता दोबारा, चाहे असंख्य हो संसार कई
MLJ / 17.9.2011
बेटी पहले देना दाता , बेटा अगली बार
धन दौलत न मांगू तुमसे, देना सुखी परिवार
MLJ / 3.9.2011
घर घर घी के दीपक रोशन, खुश हो हर दिल का कोना
शुभ दीपावली मंगलमय हो, बरसे घर घर सोना
MLJ /26 .10.2011
कुए कुए भांग पड़ी है, घर घर स्याह अन्धेरा
सूरज कोई नया उगेगा , प्रफुल्लित होगा सवेरा
MLJ / 11.9.2011
अकर्मण्य , सवेंदनहीन, दायित्वों से भाग रहे है लोग
अकर्मण्य , सवेंदनहीन, दायित्वों से भाग रहे है लोग
फिर भी चल रहे देश और दुनिया , अजीब सा है संजोग
MLJ / 9.12.2011
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