Dec 28, 2011

सच्चे एक अकेले


हंसों  की  सभा  में , अब  अग्रणी  हुए    काग
सयानी  गिलहरी समझा , निकले काले नाग

सत्ता  शासन  मजबूर है , काबिज़  हुए  लादेन
मक्खन  मलाई  खा   रहे,   निर्बल  चाटे   फेन 

बदमाशों  का  समूह  होता, सच्चे एक अकेले
खोटे  कर  कर बढ़  चले , सच्चे   गए   धकेले

काम का बोझा वो ढोए , समझे जो अपना मान
बिन  किए सम्मान बटोरे, कर्मठ खालिश नाम

काम  बिना  दमड़ी  मिले, सम्मान मिले अपार
बातें  कर  कर उम्र  कटे,   भगवन  भी   लाचार
  •       JANGID MOHAN / 28-12-2011

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