हंसों की सभा में , अब अग्रणी हुए काग
सयानी गिलहरी समझा , निकले काले नाग
सत्ता शासन मजबूर है , काबिज़ हुए लादेन
मक्खन मलाई खा रहे, निर्बल चाटे फेन
बदमाशों का समूह होता, सच्चे एक अकेले
खोटे कर कर बढ़ चले , सच्चे गए धकेले
काम का बोझा वो ढोए , समझे जो अपना मान
बिन किए सम्मान बटोरे, कर्मठ खालिश नाम
काम बिना दमड़ी मिले, सम्मान मिले अपार
बातें कर कर उम्र कटे, भगवन भी लाचार
- JANGID MOHAN / 28-12-2011
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