काली थी तीस जनवरी , गोली ले गई जान हत्यारी
ये खून गाँधी का ही नहीं था, खून से सनी जनता सारी
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सत्य अहिंसा की ढाल से , भारत ये आजाद हुआ
ये खून गाँधी का ही नहीं था, खून से सनी जनता सारी
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सत्य अहिंसा की ढाल से , भारत ये आजाद हुआ
हे राम ! तेरे ही देश में , अपनों से बर्बाद हुआ
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इतने निष्ठुर अंग्रेज भी न थे, संघर्ष किया था वर्षों तक
आजाद भारत ने दी मौत , दिया नहीं जीवन जीने का हक़
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लाठी धोती खादी चरखा , सत्य अहिंसा से तीखे वार
शासन विदेशी हिल गया, छोड़ भागे देश और व्यापार
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जैसा सोच, वैसा ही व्यवहार, सरल सादगी ,शुद्ध आहार
सत्याग्रह के नए हथियार से लड़े , कभी नहीं मानी हार
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जीवन भर अहिंसा से लड़ने वाले , तोप बन्दूक के आगे न छुकने वाले
आज ये क्या हो गया गाँधी तेरे ही आँगन , कांपें क्यों न हाथ गोली वाले
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@ JANGIDML /20120130
शासन विदेशी हिल गया, छोड़ भागे देश और व्यापार
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जैसा सोच, वैसा ही व्यवहार, सरल सादगी ,शुद्ध आहार
सत्याग्रह के नए हथियार से लड़े , कभी नहीं मानी हार
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जीवन भर अहिंसा से लड़ने वाले , तोप बन्दूक के आगे न छुकने वाले
आज ये क्या हो गया गाँधी तेरे ही आँगन , कांपें क्यों न हाथ गोली वाले
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@ JANGIDML /20120130