एक चिंगारी ने किया , रोशन सहस्त्र मशाल
रुकते नहीं वे बढ़ चले , चढ़ते काल के भाल
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कुदरत ने बनाया , नर - नारी एक समान
नारी पर अत्याचार क्यों, क्यों करते है अपमान
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नूतन वर्ष शुभ बने , सपने हों साकार
स्वस्थ सुखद हो जिंदगी , अकूत रहे भण्डार
* JANGID/20121224