0509* स्पंदन : आदि शंकराचार्य
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दिव्यपुरुष का दिव्य कर्म, पुनर्स्थापित सनातन धर्म
आर्यावर्त को कर एकीकृत, अद्वैतवाद का दिया मर्म
दुर्जन सज्जन शांतजन हो,करो समुचित बन्धन मुक्त
अद्भुत वाक शास्त्र कौशल,संचित विरासत गौरव गर्व
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©jangidml
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सन्दर्भ : भारत के महान संत, आध्यात्मिक गुरु, राष्ट्रीय एकता के प्रणेता और सनातन धर्म के रक्षक जांगिड ब्राह्मण कुल गौरव आदि शंकराचार्य का जन्म बैशाख शुक्ल पंचमी, 788 ईस्वीं* (माना जाता है) को केरल के कालड़ी में हुआ. 7 वर्ष की उम्र में सन्यास. आप अद्वैतवाद के प्रणेता. अद्वैतवाद के अनुसार ब्रह्म एवम् जीव को एकात्म माना. सगुण एवं निर्गुण दोनों स्वरुप विद्यमान रहते है. उन्होंने कहा- "तुम ब्रह्म हो, मैं ही ब्रह्म हूँ, यह आत्मा ही ब्रह्म है." ज्योतिष्पीठ बद्रीनाथ, गोवर्धनपीठ पुरी, शारदापीठ द्वारिका और शृंगेरीपीठ मैसूर स्थापित चार मठ हिंदुत्व के सनातन दर्शन को संजोये रखता है. आदि शंकराचार्य के कार्य की उपलब्धि अवर्णनीय है. मात्र 32 वर्ष की आयु में देहांत.
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May 8, 2019
0509* आदि शंकराचार्य Aadi Shankaracharya
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